रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल पर्यावरण, जमीन और स्वास्थ्य तीनों के लिए हानिकारक है। देश में कीट नियंत्रण (पेस्ट कंट्रोल) उद्योग को रासायनिक कीटनाशकों के निर्माण से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार को आगे आने की जरूरत है। कीटों द्वारा फैलाए जाने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए भी जन स्वास्थ्य प्रबंधन की दरकार है। ऐसा होने से स्थिति काफी बेहतर होगी। यह बातें शुक्रवार को शहर स्थित होटल ओबेरॉय में ‘इंडियापेस्ट 2018’ सम्मेलन के दौरान कीट प्रबंधन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा।
सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान को करना था मगर वह नहीं आए। इस सम्मेलन में देश भर से कीट प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े करीब 350 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इसका आयोजन इंडियन पेस्ट कंट्रोल एएसोसिएशन (आइपीसीए) द्वारा किया जाएगा। इस मौके पर आइपीसीए के पूर्व अध्यक्ष एचएस बयास ने इंडियापेस्ट 2018 का उद्घाटन करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षो में देश में जैव-कीटनाशकों का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग घट रहा है। इसके बावजूद इसका इस्तेमाल अभी अधिक है, जिससे मिट्टी कमजोर हो रही है। आज कृषि क्षेत्र में अधिक पर्यावरण अनुकूल मानकों वाले कीटनाशकों की मांग है। कृषि एवं घरों में पेस्ट कंट्रोल में जैव-कीटनाशकों के प्रयोग से फसलों की उपज ही नहीं बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की रक्षा भी होगी।
दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन युनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड के बिजनेस हेड उज्जवल कुमार ने कहा कि अपना देश विशाल जनसंख्या वाला है इस कारण कीटों द्वारा फैलने वाले रोगों का जोखिम भी अधिक है। देश दुनिया का एक बड़ा खाद्यान उत्पादक है। यहां फसल का बड़ा हिस्सा चूहों व अन्य कीटों की भेंट चढ़ जाता है। ऐसे में कीटों को नियंत्रित करने के लिए पेस्ट कंट्रोल उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल एवं प्रभावी तरीके अपनाने चाहिए। इंडियन पेस्ट कंट्रोल एसोसिएशन अध्यक्ष जलधि त्रिवेदी ने बताया कि सम्मेलन के पहले दिन कीट प्रबंधन को लेकर नए-नए विचारों और तकनीकों से लोगों को अवगत कराया गया। जैव और जैविक कीटनाशक समेत नवीनतम गैर रसायन कीटनाशकों एवं एकीकृत कीट प्रबंधन के बारे में भी चर्चा की जा रही है।
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